सावन कब से है 2023 (Sawan Kab Se Shuru Hai 2023) : कुछ ही दिनों में एक नया मास आरंभ होने वाला है। इसे हम श्रावण अथवा सावन मास के नाम से जानते हैं। सावन मास जुलाई अगस्त में रहता है।
यह मास अपने साथ साथ वर्षा को भी लाता है। इस मास के आगमन से गर्मी कम होना आरंभ हो जाती है। इस मास का हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व है। मुख्य रूप से सावन के सोमवार का अधिक महत्व है। यह मास भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है।
इसी कारण से भक्तगण इस मास में कई प्रकार के व्रत करते हैं। भगवान के प्रति प्रेम को दर्शाने के लिए भक्तों को इस मास की प्रतीक्षा हमेशा ही रहती है। ऐसे में वे यही जानना चाहते हैं की सावन कब से शुरू है एवं कब खत्म होगा 2023 (Sawan Kab Se Shuru Hai एवं Kab Khatam Hoga)
आज के इस लेख में हम आपके इसी प्रश्न का उत्तर लेकर आए हैं। इसी के साथ हम सावन मास के महत्व को भी समझेंगे। हम सावन मास की पूजा विधि को भी जानेंगे। साथ ही हम ये भी जानेंगे की सावन के सोमवार कब है इसके बाद अंत में ये जानना भी जरूरी हो जाता है की Sawan Kab Khatam Hoga
नमस्कार दोस्तों मैं अमन पाठक आप सभी का Moody Dost में स्वागत करता हूं। आज के इस लेख में हम जानेंगे की सावन कब से शुरू है एवं कब खत्म होगा 2023(Sawan Kab Se Hai)
सावन मास क्या है
सावन के नाम से कई लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं। परंतु मैं आपको बता दूं सामान्य भाषा में श्रावण मास को ही सावन कहा जाता है।
हिंदू धर्म में सावन मास की अहम विशेषता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास वर्ष का पांचवा(5) महीना होता है। सावन मास हर वर्ष आता है एवं इसे मनाया जाता है।
सावन मास दोनो पक्षों शुक्ल एवं कृष्ण को मिलाकर पूर्ण होता है। सावन मास को सबसे पवित्र मास एवं भगवान शिव का सबसे प्रिय मास माना जाता है। इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है।
इस मास में जो भक्त भोलेनाथ की पूजा करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और ये पास उनका प्रिय भी होता है। इसलिए इस मास में उनकी पूजा उत्तम मानी गई है।
प्रतिवर्ष कांवड़ यात्रा भी इसी मास में निकलती है। हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का एक विशेष ही महत्व है। यह कांवड़ यात्रा भी भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए होती है।
सावन के मास का हर दिन काफी सुबह होता है। परंतु इस मास के सोमवार की एक अलग ही विशेषता है। सावन मास के सोमवार को मास का सबसे उत्तम एवं शुभ दिन माना गया है। इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से वे भी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।
सावन मास के बारे में जानने के बाद हम ये जान लेते हैं की 2023 में सावन कब से शुरू हो रहा है
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सावन मास कब होता है (Sawan Kab Se Hai)
Sawan Kab Se Hai (सावन कब से है एवं कब खत्म होता है।) : वैसे अगर हिंदू पंचाग के अनुसार देखा जाए तो सावन मास एक निश्चित मास है। जो हमेशा अपने सही समय पर आता है। परंतु हिंदू पंचाग एवं अंग्रेजी कैलेंडर में अंतर होने के कारण सामान्य जीवन में उपयोग की गई तारीख के अनुसार सावन मास का समय बदल जाता है।
फिर भी अगर देख जाए तो प्रति वर्ष सावन मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई - अगस्त के महीने मे पड़ता है। कई बार जुलाई में शुरू होकर अगस्त के खत्म होता है तो कभी अगस्त में ही शुरू एवं खत्म होता है।
शुभु संयोग : इस बार है दो सावन मास
इस वर्ष महादेव की कृपा से ऐसा योग बना है की सावन मास में अधिक मास पढ़ा है। हिंदू पंचांग के अनुसार कुछ वर्ष पश्चात एक मास अधिक मास पढ़ता है। जिसे अधिक मास या मल मास के नाम से जाना जाता है।
इस वर्ष ये अधिक मास, सावन मास पर पढ़ा है। जिस कारण से इस बार दो सावन मास है एक साधारण सावन मास और एक अधिक सावन मास।
इस कारण से इस बार सावन मास की अवधि दुगनी हो गई है और ये काफी अच्छा है क्योंकि हमें महादेव की भक्ति के लिए एक महीने और मिल गया है। जिससे हम शिव जी को और पूज सके।
सावन कब से शुरू है (Sawan Kab Se Shuru Hai)
सावन कब से शुरू है 2023 (Sawan Kab Se Shuru Hai 2023) : प्रति वर्ष तो सावन मास जुलाई एवं अगस्त के महीने के बीच में पड़ता है। परंतु हमें सावन शुरू होने की तारीख की जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
हर वर्ष सावन मास शुरू होने की तारीख अलग होती है।
इसलिए अगर हम वर्तमान वर्ष 2023 की बात करें तो सावन मास 4 जुलाई से शुरू हो रहा है।
इसके आधार पे हम कह सकते हैं की सावन 4 July 2023 से शुरू है ( Sawan 4 July 2023 Se Shuru Hai)
सावन कब खत्म होगा ( Sawan Kab Khatam Hoga)
सावन कब खत्म होगा 2023 (Sawan Kab Khatam Hoga 2023) : जिस तरीके से सावन मास जुलाई या अगस्त में आरंभ होता है। उसी प्रकार ये जुलाई अथवा अगस्त में खत्म होता है। सावन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को समाप्त होता है।
प्रति वर्ष सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि अलग होती है इसी कारण से सावन खत्म होने की तारीख भी अलग अलग होती है।
इसलिए अगर हम वर्तमान वर्ष 2023 की बात करें तो सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 31 अगस्त को है। जिससे हमें ये पता चलता है की सावन मास 31 अगस्त को खत्म होगा (Sawan 31 August 2023 Ko Khatam Hoga)
इसके आधार पे हम कह सकते हैं की इस वर्ष सावन मास 31 अगस्त 2023 को खत्म होगा।
सावन में कितने सोमवार है
Sawan Me Kitne Somwar Hai : सावन का पूरा मास शुभ होता है एवं इसका एक एक दिन काफी फलदायक होता है। परंतु सावन मास में सोमवार का एक विशेष महत्व होता है। कहा जाता है की सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।
चूंकि हर वर्ष सावन मास की तारीख में बदलाव होता है तो इस मास के सोमवार की तारीखों में भी बदलाव होता है। कभी सोमवार 4 पड़ते हैं तो कभी 5। चूंकि इस बार सावन अधिक मास है इसलिए इस बार सावन में 8 सोमवार है।
अगर हम वर्तमान वर्ष की बात करें तो इसमें 8 सोमवार है जिनकी तारीख नीचे लिखी है।
- पहला सोमवार - 10 जुलाई 2023
- दूसरा सोमवार - 17 जुलाई 2023
- तीसरा सोमवार - 24 जुलाई 2023
- चौथा सोमवार - 31 जुलाई 2023
- पांचवा सोमवार - 7 अगस्त 2023
- छठा सोमवार - 14 अगस्त 2023
- सातवा सोमवार - 21 अगस्त 2023
- आठवां सोमवार - 28 अगस्त 2023
सावन का महत्व
- शास्त्रों एवं पुराणों में सावन के मास का बहुत अधिक महत्व है।
- सावन का मास काफी शुभ माना गया है।
- अगर हम वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखे हैं तो सावन के मास में वर्षा आरंभ हो जाती है जो काफी फलदायक होती है।
- सावन के मास में भगवान शिव की पूजा करने का विधान है।
- प्रभु शिव को सोमवार अति प्रिय है इस वजह से सावन के सोमवार को शुभ कहा गया है। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं।
- अगर जीवन में विवाह संबंधित कोई परेशानी हो तो सावन मास में भगवान के भक्ति एवं आशीर्वाद से दूर हो जाती है।
सावन में पूजा की विधि
वर्ष सावन मास में पूजा का फल तब ही मिलता है जब आपने सही विधि से सावन के सोमवार की पूजा की हो। अगर गलत विधि से पूजा की जाए तो वह फलदायक नही होती है। चलिए अब सही विधि जान लेते हैं।
- सबसे पहले सूर्योदय होने से पूर्व जग जाएं।
- फिर दैनिक क्रिया करके अच्छे से नहा लें।
- नहाने के पश्चात साफ सुथरे वस्त्र धारण करें अर्थात पहने लें।
- फिर पूजा के स्थान को साफ कर लें।
- इसके पश्चात अपने घर के मन्दिर में दीपक जला लें।
- फिर सभी देवी देवताओं का अभिषेक करें। गंगा जल अभिषेक के लिए उत्तम माना गया है।
- फिर भगवान शिव पर गंगा जल एवं दूध चढ़ाएं।
- इसके पश्चात शिवलिंग पर पुष्प एवं बेलपत्र अर्पित करें।
- इस सबके बाद भगवान शिव की आरती करें और उन्हें प्रसाद लगाएं।
- जो भक्त सावन सोमवार का व्रत करते हैं वे अपना व्रत जारी रखें एवं भगवान शिव की सुबह शाम पूजा करें।
सावन में भगवान शिव को प्रसन्न कैसे करें
- इस मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- रोज सुबह शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
- शंकर जी को सोमवार का दिन प्रिय है इसलिए सावन के सोमवार को व्रत करके विधि विधान से उनकी पूजा करनी चाहिए और फिर अंत में प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
- इस माह में दान धर्म का विधान भी है। सावन के किसी भी दिन अथवा सोमवार को दान करने से भी भगवान प्रसन्न होते हैं।
सावन में कांवड़ यात्रा
सावन मास भगवान का प्रिय मास है। इस वजह से इस पूरे में मास में भारत के अलग अलग जगह अलग अलग कार्यकर्म चलते ही रहते हैं।
ऐसा ही कार्यक्रम कांवड़ यात्रा भी है। सावन की कांवड़ यात्रा पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है। जगह जगह से भक्त लोग कांवड़ यात्रा करते हैं। कांवड़ यात्रा कोई भी कर सकता है बस उसका मन भगवान के प्रेम में लीन हो।
कांवड़ यात्रा में मुख्य रूप से पवित्र नदियों के जल से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
भक्तगण अपनी कांवड़ यात्रा आरंभ करते हैं। यह यात्रा पदयात्रा होती है अर्थात पैरों से। सभी भक्त विभिन्न पावन स्थलों एवं तीर्थ स्थलों तक ऐसे ही जाते हैं। वहां पर जाकर पवित्र नदियों का जल एकत्र करते हैं। इस जल को अपने पास रख लेते हैं फिर वापस यात्रा करते हैं।
अब यात्रा करके वे वहीं जाते हैं जहां से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की थी। वहां पर जाकर भगवान शिव का इस पावन जल से अभिषेक करते हैं। इस तरीके से भक्तों की कांवड़ यात्रा पूरी होती है।
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सावन से संबंधित कथा
वैसे तो हिंदू पुराणों में सावन से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं। परंतु उनमें से कुछ कथाएं मुख्य एवं महत्वपूर्ण है। ऐसी ही एक कथा के बारे में आज हम जानेंगे।
भगवान शिव का विवाह माता सती के साथ हुआ था। परंतु जब उनके पिता के घर पर महादेव का अपमान हुआ तो उन्होंने स्वयमग्नि धारण कर ली। जिससे वे पंचतत्व में विलीन हो गई।
इस पर महादेव बहुत क्रोधित हो गए और वे एक लम्बे काल के लिए गहन साधना में चले गाय। माता सती का माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ। जब उन्हें इन सब बातों का स्मरण हुआ तो वे महादेव के पास चलीं। परंतु महादेव अभी भी साधना में थे।
महादेव को साधना से उठाने के लिए माता पार्वती जी ने कठिन तपस्या की। कहा जाता है की सावन के मास में माता ने गहन तप किया जिसके फलस्वरूप महादेव अपनी साधना से उठे। इस वजह से इस मास को शुभ माना जाने लगा और ये मास भगवान शिव का प्रिय मास बन गया।
निष्कर्ष - Sawan Kab Se Shuru Hai
सावन का महीना एक विशेष महीना होता है। यह मास भगवान शिव एवं उनके भक्तों को बहुत प्रिय होता है। आज के इस लेख में हमने इसी मास के बारे में जानने की कोशिश की है। सावन के मास में लिखने को तो बहुत कुछ है परंतु इस लेख को छोटा रखना भी जरूरी है।
आज के इस लेख में हमने ये जानने की कोशिश की वर्ष 2023 में सावन कब से शुरू है (Sawan Kab Se Shuru Hai एवं Kab Khatam Hoga 2023)
आज के लेख में हमने सावन से जुड़ी अन्य जानकारियां भी जानी जैसे सावन क्या है, इसके महत्व। सावन मास के पीछे की कथा।
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achha kam karte ho dost kya aap bata skte ho aapko kitna time laga isme adsens lene me
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