Primary Memory in Hindi : कंप्यूटर के अंदर मेमोरी एक महत्वपूर्ण भाग होती है। यह इतनी जरूरी होती है की इसके बिना कंप्यूटर चला पाना संभव नहीं है।
वैसे तो कंप्यूटर मेमोरी कई प्रकार की होती है। परंतु मुख्य रूप से मेमोरी दो प्रकार की होती है प्राइमरी मेमोरी एवं सेकेंडरी मेमोरी। जिनमे से आज हम प्राइमरी मेमोरी(Primary Memory in Hindi) के बारे में विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं।
प्राइमरी मेमोरी(Primary Memory) कंप्यूटर का एक अहम भाग होती है, जिसके बिना आज के समय में हम कंप्यूटर की कल्पना नहीं कर सकते।
आज हम इसी प्राइमरी मेमोरी को विस्तार से हिंदी में जानेंगे। हम इसके उपयोगों एवं इसकी विशेषताओं पर भी बात करेंगे। सबसे जरूरी प्राइमरी मेमोरी के भी कई प्रकार होते हैं तो हम आज उनके बारे में भी अच्छे से पढ़ेंगे।
अगर आप कंप्यूटर के छात्र हैं या कंप्यूटर में रुचि रखते हैं तो आज आपका प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory in Hindi) विषय पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।
नमस्कार दोस्तों मैं अमन पाठक (Aman Pathak), मूडी दोस्त (Moody Dost) में आप सभी का स्वागत करता हूं।
Primary Memory क्या होती है (Primary Memory in Hindi)
प्राइमरी मेमोरी क्या है (Primary Memory in Hindi) : हमने अपने ब्लॉग में पहले भी इस विषय के ऊपर चर्चा कर रखी है कि मेमोरी कितने प्रकार की होती है। वहां पर हमने सभी तरह की मेमोरी के बारे में बात की थी।
हमने वहां कंप्यूटर की Primary Memory के बारे में भी बात की थी। आज उसी मेमोरी को हम यहां विस्तार से जानेंगे।
कंप्यूटर में मुख्य रूप से दो तरह की मेमोरी होती है। एक प्राइमरी और दूसरी सेकेंडरी। प्राइमरी मेमोरी को मुख्य मेमोरी (Main Memory) भी कहा जाता है क्योंकि कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी का उपयोग सबसे ज्यादा होता है और इसके बिना हम कंप्यूटर नही चला सकते।
कंप्यूटर का मुख्य डाटा अर्थात जो जरूरी डाटा होता है वो इस मेमोरी में स्टोर होता है जैसे की जब कंप्यूटर चालू होता है तो कंप्यूटर की सभी प्रोसेसेस का डाटा इसी प्राइमरी मेमोरी में स्टोर होता है। जैसे की अगर आपने गूगल क्रोम खोला हुआ तो क्रोम में चल रही सभी प्रोसेस प्राइमरी मेमोरी में स्टोर होंगी। अगर आपके मन में भी कोई ऐसा उदाहरण हो तो कमेंट में जरूर बताएं।
एवं अगर कोई ऐसा जरूरी डाटा होता है जो कंप्यूटर को चालू करने के लिए आवश्यक है तो ऐसा डाटा भी प्राइमरी मेमोरी में स्टोर होता है।
जैसा कि अभी हमने ऊपर जाना की कंप्यूटर के वर्तमान कार्य की प्रोसेस और कुछ जरूरी डाटा प्राइमरी मेमोरी में स्टोर होता है। इसी कारण से प्राइमरी मेमोरी को कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी (Main Memory) बोला जाता है।
जब भी हम कोई डाटा इनपुट करते हैं तो कंप्यूटर के अंदर CPU (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) तक पहुंचने से पहले ये डाटा प्राइमरी मेमोरी तक जाता है फिर वहां से सीपीयू के पास जाता है। इसके बाद डाटा की प्रोसेसिंग शुरू होती है।
इसी तरह से कंप्यूटर के सीपीयू में चल रही किसी प्रोसेस का जो डाटा आउटपुट होता है वो पहले प्राइमरी मेमोरी में जाता है फिर हमारे पास पहुंचता है और इसके बाद हम उस डाटा को एक्सेस कर पाते हैं।
प्राइमरी मेमोरी Volatile एवं Non Volatile दोनों प्रकार की होती है।
वोलेटिल मेमोरी ऐसी मेमोरी होती हैं जिसमे डाटा स्टोर रखने के लिए पावर(बिजली) की आवश्यकता होती है अर्थात जब तक कंप्यूटर चालू रहता है तब तक वोलेटाइल मेमोरी में डाटा स्टोर रहता है।
नॉन वोलेटाइल मेमोरी बिना किसी पावर(बिजली) के भी डाटा स्टोर करके रख सकती है। इसका अर्थ है कंप्यूटर के बंद होने के बाद भी इस मेमोरी में डाटा स्टोर रहता है। एवं जब दुबारा कंप्यूटर चालू करेंगे तो बाद में भी कंप्यूटर इस डाटा का उपयोग कर सकता है।
Primary Memory Definition in Hindi
Primary Memory की Definition : प्राइमरी मेमोरी एक ऐसी मेमोरी है जिसमे कंप्यूटर के अंदर CPU (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) में चल रही सभी वर्तमान प्रोसेसेस का डाटा एवं ऐसा डाटा जो कंप्यूटर के लिए अति आवश्यक है, स्टोर होता है।
प्राइमरी मेमोरी के बिना हम कंप्यूटर का उपयोग नहीं कर सकते। प्राइमरी मेमोरी वोलेटाइल एवं नॉन वोलेटाइल दोनो प्रकार की होती है।
Primary Memory की विशेषताएं
उन प्रोग्राम को स्टोर करना जो वर्तमान में हम उपयोग कर रहे हों।
उस डाटा को स्टोर करना जिसे वर्तमान में सीपीयू प्रोसेस कर रहा हो।
ये motherboard में सीपीयू के नजदीक लगी रहती है जिससे जल्दी डाटा एक्सेस किया जा सके।
ये मेमोरी सीपीयू से डायरेक्ट कनेक्ट रहती है जो डाटा एक्सेस तेज बनाता है।
ये एक सेमीकंडक्टर मेमोरी होती है। अर्थात ये semiconductors से बनी रहती है।
इस मेमोरी के बिना हम कंप्यूटर का उपयोग नहीं कर सकते बल्कि इसके बिना तो कंप्यूटर चालू भी नही होता है।
ये मेमोरी काफी तेज और महंगी होती है।
Primary Memory का कार्य(उपयोग) क्या है
Use of Primary Memory in Computer : प्राइमरी मेमोरी सीपीयू से डायरेक्ट कनेक्ट रहती है एवं सीपीयू के साथ मिलकर ही अपना कार्य करती है। अगर हम बात करें तो कंप्यूटर के अंदर प्राइमरी मेमोरी के कई कार्य होते हैं।
प्राइमरी मेमोरी के मुख्य कार्यों में पहला कार्य कंप्यूटर में जिन प्रोग्राम को हम वर्तमान समय में उपयोग कर रहे है उन प्रोग्राम का डाटा स्टोर करना होता है।
सीपीयू के द्वारा प्रोसेस किया जा रहे डाटा को स्टोर करना भी प्राइमरी मेमोरी का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है।
चूंकि प्राइमरी मेमोरी सीपीयू से डायरेक्ट कनेक्ट रहती है तो सीपीयू को जिस डाटा की आवश्यकता है उस डाटा को तेजी और सटीकता से सीपीयू तक पहुंचाना भी प्राइमरी मेमोरी का एक जरूरी काम होता है
कंप्यूटर को चालू(बूट) करने के लिए कुछ जरूरी जानकारी की आवश्यकता होती है जो की प्राइमरी मेमोरी में ही स्टोर होती है। इस जानकारी के बिना हम कंप्यूटर को चालू नही कर सकते है। ऐसे में प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर को चालू करने में भी हमारी सहायता करती है और ये भी इसका एक मुख्य कार्य बन जाता है।
Primary Memory के प्रकार (Types of Primary Memory in Hindi)
कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है
RAM
ROM
Cache Memory
RAM
RAM(रैम) का पूरा नाम Random Access Memory (रैंडम एक्सेस मेमोरी) है। रैम प्राइमरी मेमोरी का एक प्रकार होती है। रैम को कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी माना जाता है।
ज्यादातर लोग जब प्राइमरी मेमोरी शब्द का प्रयोग करते हैं तो उनका तात्पर्य रैम से ही होता है क्योंकि रैम मेमोरी में इतनी खूबियां जो हैं। लेकिन मुझे इस बात की पूरी उम्मीद है कि आप लोग जो ये लेख पढ़ रहे हो वो तो इस बात को जान चुके हो की रैम, प्राइमरी मेमोरी का एक प्रकार है।
कंप्यूटर के अंदर रैम मेमोरी अत्यधिक जरूरी होती है। जब भी हम कंप्यूटर के अंदर किसी सॉफ्टवेयर या फाइल को ओपन करते है तो वो सॉफ्टवेयर या फाइल पहले रैम मेमोरी के अंदर लोड होता है उसके बाद वहां से सीपीयू के द्वारा प्रोसेस किया जाते हैं। इसका अर्थ है इस समय आप जो अपने कंप्यूटर में चला रहे हैं वो सब रैम के अंदर ही खुला हुआ है और वहां से सीपीयू के द्वारा प्रोसेस किया जा रहा है।
चूंकि रैम वही डाटा स्टोर करती है जिसे सीपीयू प्रोसेस कर रहा हो अर्थात जिसकी सीपीयू को जरूरत हो। इस वजह से इसे Temporary Memory(टेंपरेरी मेमोरी) भी कहा जाता है। प्राइमरी मेमोरी की तेजी का गुण रैम के अंदर भी होता है अर्थात ये काफी तेज होती है।
अगर हम बात करें तो रैम के प्रकृति की तो यह Volatile Memory (वोलेटाइल मेमोरी) होती है अर्थात इसमें डाटा तब तक ही स्टोर रहता है जब तक की इसे पावर(बिजली) मिलती रहे। इसका मतलब है कंप्यूटर बंद होने के बाद इसके अंदर का डाटा भी नष्ट(डिलीट) हो जाता है।
रैम मेमोरी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।
SRAM
DRAM
SRAM
SRAM का पूरा नाम Synchronous Random Access Memory (सिंक्रोनस रैंडम एक्सेस मेमोरी) होता है।
SRAM का उपयोग कंप्यूटर में Main Memory (मैन मेमोरी) के रूप में किया जाता है।
SRAM मेमोरी में डाटा को Transistors (ट्रांसिस्टर्स) के अंदर स्टोर किया जाता है।
SRAM को DRAM की तरह बार-बार रिफ्रेश करने की जरूरत नहीं होती है।
SRAM के अंदर काम मात्रा में डाटा स्टोर होता है।
SRAM काफी तेज मेमोरी होती है।
SRAM काफी महंगी भी भी होती है।
DRAM
DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory (डायनेमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी) होता है।
DRAM का उपयोग Cache Memory (कैच मेमोरी) के लिए (के रूप में) किया जाता है।
DRAM मेमोरी के अंदर डाटा को स्टोर करने के Capacitors (कैपेसिटर्स) का उपयोग किया जाता है।
DRAM के अंदर डाटा को लंबे समय तक रखने के लिए हमे इसे बार बार रिफ्रेश करने की जरूरत होती है।
DRAM के अंदर SRAM से ज्यादा डाटा स्टोर कर सकते हैं।
SRAM की तुलना में DRAM धीमी होती है।
SRAM की तुलना में DRAM सस्ती होती है।
ROM
ROM(रोम) का पूरा नाम Read Only Memory (रीड ऑनली मेमोरी) है। रोम भी प्राइमरी मेमोरी का एक प्रकार है। ROM कंप्यूटर की एक अहम मेमोरी होती है।
आज के समय में यूट्यूब विडियोज में फोन की इंटरनल स्टोरेज को लोग ROM शब्द से दर्शाते जो की बिल्कुल गलत है। रोम के इस गलत अर्थ के कारण लोग रोम को इंटरनल स्टोरेज समझने लगते हैं जबकि ये गलत है।
बल्कि रोम तो प्राइमरी मेमोरी का एक प्रकार है, जो की इंटरनल स्टोरेज से बिल्कुल अलग होती है। आपके मन में जो रोम का गलत अर्थ विद्यमान है आज उसी अर्थ को हम सही करेंगे और रोम के बारे में आपको समझाएंगे
ROM का असली अर्थ होता है 'Read Only Memory (रीड ओनली मेमोरी)' इसका मतलब है रोम एक ऐसी मेमोरी होती है, जिसके डाटा को सिर्फ रीड किया जा सकता है अर्थात पढ़ा जा सकता है।
ROM मेमोरी में हम डाटा को राइट नही कर सकते। अगर हम करना भी चाहे तो ये बहुत मुश्किल कार्य होता जो कंपनी खुद ही कर सकती है। जो डाटा पहले से उसमे है उसे सिर्फ रीड कर सकते हैं।
चूंकि ROM का डाटा बदलना काफी कठिन है एवं कई मामलों में तो बदला ही नहीं जा सकता है। इस वजह से ROM की इस खूबी के कारण इसे कंप्यूटर की बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी स्टोर करने के लिए उपयोग किया जात है। ये जानकारी कोई भी हो सकती है जैसे फर्मवेयर (Firmware) से संबंधित जानकारी, या कंप्यूटर बूट होने के समय की जाने वाली प्रोसेस की जानकारी।
कंप्यूटर का BIOS जो की कंप्यूटर चालू करने के लिए अति महत्वपूर्ण होता है वो ROM के अंदर ही स्टोर रहता है। जिससे BIOS को डिलीट न किया जा सके। अगर BIOS डिलीट हो जाए तो कंप्यूटर चालू नही हो पाएगा एवं इसे सही करने के लिए आपको कंप्यूटर कंपनी के पास भेजना पड़ेगा।
ज्यादातर, ROM वो डाटा स्टोर करती है जिसकी जरूरत हमेशा पड़ती है और रोम में डाटा हमेशा रहता है। इस कारण से रोम को परमानेंट मेमोरी (Permanent Memory) के नाम से जाना जाता है।
अगर हम ROM की प्रकृति के बारे में बात करें तो ये Non Volatile Memory (नॉन वोलेटाइल मेमोरी) होती है। इसका अर्थ हैं की बिजली(पावर) जाने के बाद या बिना बिजली(पावर) के भी इस मेमोरी में डाटा स्टोर बना रहता है।
ROM मेमोरी के दो प्रकार होते हैं।
PROM
EPROM
EEPROM
PROM
PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory (प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी) होता है।
ये चिप वन टाइम प्रोग्रामेबल (One Time Programmable) होती है। इसका अर्थ है चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है।
PROM अन्य ROM की तुलना में सस्ती होती है।
PROM, रोम के पुराने प्रकारों में से एक है।
PROM का आविष्कार Wen Tsing Chow ने 1956 के किया था।
PROM पूर्ण रूप से प्लास्टिक से टकी रहती है।
EPROM
EPROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory (एरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी) होता है।
ये PROM का एक अपग्रेडेड वर्जन हैं जिसमे इस दुबारा प्रोग्राम किया जा सकता है।
इस ROM को परा बैंगनी प्रकाश की सहायता से दुबारा प्रोग्राम किया जा सकता है।
EPROM, PROM की तुलना में महंगी होती है।
PROM, रोम के नए प्रकारों में से एक है।
EPROM का आविष्कार Dov Frobman ने 1971 में किया था।
EPROM क्वार्ट्ज विंडो(Quartz Window) से ढकी रहती है।
EEPROM
EEPROM का पूरा नाम Electrically Erasable Programmable Read Only Memory (इलेक्ट्रिकली एरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी) होता है।
ये EEPROM का एक अपग्रेडेड वर्जन हैं जिसमे परा बैंगनी प्रकाश के जगह बिजली की सहयता से इसे दुबारा प्रोग्राम किया जा सकता है।
EEPROM, अन्य ROM की तुलना में सबसे महंगी होती है।
EEPROM, रोम के नवीन एवं एडवांस प्रकारों में से एक है।
EEPROM प्लास्टिक बॉक्स के अंदर बंद रहती है।
Cache Memory
कैच मेमोरी भी प्राइमरी मेमोरी का एक प्रकार होती है। यह एक छोटे आकार की मेमोरी होती है। कैच मेमोरी में वह डाटा स्टोर होता है जिस डाटा की सीपीयू को बार बार जरूरत पड़ती है। जिससे जरूरत पड़ने पर कैच मेमोरी जल्द से जल्द वह डाटा सीपीयू को प्रदान कर सके।
कैच मेमोरी में डाटा अस्थाई (Temporary) रूप से स्टोर होता है। ये मेमोरी मदरबोर्ड में सीपीयू एवं रैम के बीच में चिप के रूप में स्थित होती है।
जब सीपीयू कोई कार्य करता है तो कुछ डाटा एवं निर्देश ऐसे होते हैं जिनकी जरूरत सीपीयू को बार बार पड़ती है। कैच मेमोरी इसी तरह के डाटा एवं निर्देशों को सीपीयू तक जल्द जल्द से पहुंचाता है। इससे कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ती है और कंप्यूटर की परफॉर्मेंस में फायदा होता है। जिससे कंप्यूटर तेज चलने लगता है।
आज के समय के आधुनिक कंप्यूटर्स में कैच मेमोरी एक अहम भाग है जिसके बिना कंप्यूटर चलना मुश्किल है। अब जो नए कंप्यूटर्स आ रहे हैं उनमें कैच मेमोरी CPU में ही इनबिल्ट(inbuilt) होती है।
निष्कर्ष - Primary Memory in Hindi
आज की इस पोस्ट में हमने विस्तार से जाना की प्राइमरी मेमोरी क्या होती है। हमने इसका क्या कार्य है, इसकी विशेषताओं को भी समझा।
हमने इस लेख में प्राइमरी मेमोरी के प्रकारों के बारे में भी विस्तार पूर्वक जाना। प्राइमरी मेमोरी के कई प्रकार होते हैं उन सबको हमने सरल शब्दों में समझाने का पूर्ण प्रयास किया है।
हमे यही आशा है की आपको इस लेख से प्राइमरी मेमोरी से संबंधित सब जानकारी मिल गई होगी।
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